From Ideology to idea
कोई भी संकुचित विचारधारा, मानव की सोच के फैलाव को नहीं रोक सकती। मानव स्वयं अपने वैचारिक फैलाव को नहीं रोक सकता। मानव प्रकृति में निहित है कि वह अपने लिए अच्छे से अच्छा करना चाहता है और हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहता है। क्या सही है इस पर हम सबकी राय अलग हो सकती है पर हमारा मन और चेतना तब तक शांत नहीं होते जब तक दोनों सही विचार और रास्ता ना पा ले। यही प्रवृत्ति निश्चित करती है कि व्यक्ति के साथ साथ समाज भी आगे बढ़ता रहे।
No narrow minded ideology can restrict the growth of human intellect. Humans cannot stop their own intellectual growth. Every human wants best for himself. We might defer in our opinions as to what is right but our mind and consciousness never attain peace till they both find the correct idea and path. This tendency is responsible for the growth of our society along with the individual growth.