एहसास
सबसे पहले एक मित्र के साथ
हमारा पहला साक्षात्कार हुआ
देखकर एक दूसरे को हमको
जाने कैसा अद्भुत एहसास हुआ।
चेहरे पर खिली मुस्कुराहट
मृदुल शब्दों का प्रतिदान हुआ
भाव मिलते गए सब हमारे
जाने कैसा अद्भुत एहसास हुआ।
बजाकर मनमोहनी बांसुरी सी
बज उठी दिल मे नई रागिनी सी
मन करता है गाऊं कोई गीत नया
जाने कैसा अद्भुत एहसास हुआ।
ना तो इसे मोहब्बत कह सकूं
जाने कैसा यह मोहपाश हुआ
मन करता है बन मोर नांचू
जाने कैसा अद्भुत अहसास हुआ।
बीत गए दिन अब तो काफी
दिल मिलने को आतुर हुआ
मन बिछड़न से परेशान हो रहा
जाने कैसा अद्भुत एहसास हुआ।